76. प्रद्युम्न के बहाने

कुछ मामलों पर चर्चा करने की एकाएक हिम्मत नहीं होती। सात वर्ष का बच्चा प्रद्युम्न, एक प्रतिष्ठित स्कूल का नन्हा छात्र, सुबह उसके पिता उसको स्कूल छोड़कर आए और कुछ देर में ही खबर मिली कि उसकी हत्या हो गई।

हत्या हुई एक प्रतिष्ठित स्कूल के बाथरूम में, सुबह स्कूल पहुंचते ही, हत्या का इल्ज़ाम एक बस कंडक्टर पर, जो बाथरूम से उस रक्त रंजित बच्चे को बाहर लेकर आया, जिसकी गर्दन को चाकू से, बेरहमी के साथ काटा गया था। बस कंडक्टर यह स्वीकार कर रहा है कि उसने ही हत्या की है लेकिन विश्वास नहीं होता। विश्वास नहीं होता कि कोई भी उस मासूम की हत्या करेगा, क्या दुश्मनी हो सकती है किसी की उस मासूम के साथ!

लेकिन हत्या तो हुई है, वह भी राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में, एक प्रतिष्ठित स्कूल में, जहाँ की फीस बहुत ऊंची होती है, जहाँ प्रबंधन पैसे वसूलने के नए-नए तरीके तलाशता रहता है। अब जबकि ऐसी अशोभनीय घटना घट गई है, उस स्कूल में तो लोगों को हर तरह की शिकायतें करने का एक मौका भी मिल गया है।

यह भी सही है कि इस प्रकार की घटनाएं हिंदुस्तान में कहीं न कहीं हर रोज़ होती हैं, लेकिन क्योंकि यह घटना राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में और एक प्रतिष्ठित स्कूल में हुई है, जहाँ मीडिया को आने-जाने में सुविधा रहती है, तो इस पर चर्चा भी खूब हो रही है। पत्रकार लोग स्कूल की बाउंड्री कितनी जगह से टूटी है यह देख रहे हैं और शराब का ठेका कितने कदम दूर है, यह माप रहे हैं। वैसे भारत में तो बहुत सारे स्कूल ऐसे हैं जिनकी बाउंड्री ही नहीं है।

मासूम प्रद्युम्न की मौत वास्तव में दिल पर चोट करती है और इस बहाने अगर हम अधिक जागरूक हो जाएं, ऐसे कदम उठाए जाएं जिनसे ऐसी घटनाएं न हो सकें तो बहुत अच्छा होगा। लेकिन हम सिस्टम में ऐसी कमियां जान-बूझकर छोड़ देते हैं शायद। जैसे कि यह अक्सर होता है कि सीसीटीवी कैमरे लगे हुए हैं, लेकिन जब ऐसी कोई घटना हो जाती है, तब मालूम होता है कि कैमरे काम नहीं कर रहे हैं। सामान्य परिस्थितियों में इन व्यवस्थाओं का ऑडिट क्यों नहीं होता!

एक खबर इस बीच आई थी कि दिल्ली के एक स्कूल ने अपने डांस टीचर को नौकरी से हटा दिया और उसके विरुद्ध पुलिस में शिकायत भी की कि वह डांस छात्राओं के साथ गलत व्यवहार करता है! क्या आपको लगता है कि इस मामले में अचानक स्कूल प्रबंधक की आत्मा जाग गई। ऐसा केवल इसलिए हुआ कि प्रद्युम्न की हत्या के बाद जो एक जन-आंदोलन जैसा हुआ, उसमें उस स्कूल के लोगों को लगा कि यह जो गतिविधि वहाँ चल रही है, जिसकी जानकारी निश्चित रूप से उस स्कूल के कुछ लोगों को पहले से थी, वह अब बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

आज जो वातावरण इस घटना के बाद बना है, इसमें अच्छा होगा कि ऐसी गतिविधियां जो स्कूलों में अथवा किसी भी संस्थान में, कुछ लोगों की जानकारी में चलती रहती हैं, उनको बर्दाश्त न किया जाए और उसको समय रहते समाप्त किया जाए। सीसीटीवी जैसी, जो भी निगरानी  सुविधाएं जहाँ मौज़ूद हैं उनका पूरी क्षमता के साथ इस्तेमाल किया जाए और सबसे बड़ी बात तो यह है कि जो अपराधी है उनको समय पर और अधिकतम संभव दंड मिले जिससे और लोगों की ऐसा करने की हिम्मत न हो।  

आज के लिए इतना ही।

नमस्कार।

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