112. बच्चा स्कूल जा रहा है!

आज बिना किसी भूमिका के, निदा फाज़ली साहब की एक नज़्म शेयर कर रहा हूँ, यह नज़्म खुद इतना कहती है कि मैं उसके आगे क्या कह पाऊंगा! बच्चा जब स्कूल जाता है, शिक्षा प्राप्त करता है, अपने लिए और अपने समय के लिए, देश के लिए, दुनिया के लिए सपने बुनता है, उससे ही मानवता के, इस दुनिया के आगे बढ़ने का माहौल तैयार होता है। प्रस्तुत है यह बहुत प्यारी सी रचना-

 

 

बच्चा स्कूल जा रहा है..

हुआ सवेरा
ज़मीन पर फिर अदब से
आकाश अपने सर को झुका रहा है
कि बच्चा स्कूल जा रहा है।

नदी में स्नान करके सूरज
सुनहरी मलमल की पगडी बाँधे
सड़क किनारे खड़ा हुआ
मुस्कुरा रहा है
कि बच्चा स्कूल जा रहा है।  

हवाएँ सर-सब्ज़ डालियों में
दुआओं के गीत गा रही हैं
महकते फूलों की लोरियाँ
सोते रास्तों को जगा रही हैं
घनेरा पीपल गली के कोने से
हाथ अपने हिला रहा है
कि बच्चा स्कूल जा रहा है।

फ़रिश्ते निकले हैं रोशनी के
हर एक रस्ता चमक रहा है
ये वक़्त वो है
ज़मीं का हर एक ज़र्रा
माँ के दिल सा धड़क रहा है

पुरानी इक छत पे वक़्त बैठा
कबूतरों को उड़ा रहा है
कि बच्चा स्कूल जा रहा है ।

                                            – निदा फाज़ली

नमस्कार

———— 

3 responses to “112. बच्चा स्कूल जा रहा है!”

  1. Bahut sundar…decent n cute …

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    1. shri.krishna.sharma avatar
      shri.krishna.sharma

      Thanks a lot.

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