आज 1966 में रिलीज़ हुई फिल्म- ‘बहारें फिर भी आएंगी’ का एक गीत याद आ रहा है। यह गीत- ओ.पी.नैय्यर जी के संगीत निर्देशन में आशा भौंसले जी ने गाया था। इस गीत के लेखक थे- श्री एस. एच. बिहारी जी। यह गीत लंबे समय तक बिनाका गीतमाला का टॉप गीत बना रहा था।
वास्तव में इस छोटे से गीत में लेखक ने बहुत जोरदार अभिव्यक्ति दी है और जानदार संगीत और उस पर आशा ताई की मधुर स्वर-लहरी।
लीजिए प्रस्तुत है यह गीत-
वो हँस के मिले हमसे, हम प्यार समझ बैठे
बेकार ही उल्फ़त का इज़हार समझ बैठे
वो हँस के मिले…
ऐसी तो न थी क़िस्मत, अपना भी कोई होता
अपना भी कोई होता
क्यूँ ख़ुद को मुहब्बत का हक़दार समझ बैठे
वो हँस के मिले…
रोएँ तो भला कैसे, खोलें तो ज़ुबाँ क्यूँ कर
खोलें तो ज़ुबाँ क्यूँ कर
डरते हैं कि न जाने क्या, संसार समझ बैठे
बेकार ही उल्फ़त का…
आज के लिए इतना ही।
नमस्कार।
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