आज गुरुदत्त जी की 1957 में रिलीज़ हुई प्रसिद्ध फिल्म-प्यासा का एक गीत शेयर कर रहा हूँ, साहिर लुधियानवी जी के लिखे इस बेहद खूबसूरत गीत को, एस.डी.बर्मन जी के संगीत निर्देशन में हेमंत कुमार जी ने अपनी सघन, गहन, अनुगूंज भरी आवाज में गाकर अमर कर दिया है।
यह गीत अपने आप ही इतना कुछ कहता है कि मुझे अलग से कुछ कहने की जरूरत नहीं है, लीजिए इस गीत के बोल पढ़कर इसकी यादें ताजा कर लीजिए।
जाने वो कैसे लोग थे जिनके प्यार को प्यार मिला,
हमने तो जब कलियां मांगी कांटों का हार मिला।
खुशियों की मंज़िल ढूँढी तो ग़म की गर्द मिली,
चाहत के नग़मे चाहे तो आहें सर्द मिली,
दिल के बोझ को दूना कर गया जो ग़मखार मिला।
हमने तो जब कलियां मांगी…
बिछड़ गया हर साथी देकर पल दो पल का साथ,
किसको फ़ुरसत है जो थामे दीवानों का हाथ,
हमको अपना साया तक अक्सर बेज़ार मिला।
हमने तो जब कलियां मांगी…
इसको ही जीना कहते हैं तो यूँ ही जी लेंगे
उफ़ न करेंगे लब सी लेंगे आँसू पी लेंगे
ग़म से अब घबराना कैसा, ग़म सौ बार मिला।
हमने तो जब कलियां मांगी कांटों का हार मिला।
जाने वो कैसे लोग थे जिनके प्यार को प्यार मिला॥
आज के लिए इतना ही,
नमस्कार।
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