बहती हवा – रवींद्रनाथ ठाकुर की कविता

आज, मैं फिर से भारत के नोबल पुरस्कार विजेता कवि गुरुदेव रवींद्र नाथ ठाकुर की एक और कविता का अनुवाद प्रस्तुत कर रहा हूँ। यह उनकी अंग्रेजी भाषा में प्रकाशित जिस कविता का भावानुवाद है, उसे अनुवाद के बाद प्रस्तुत किया गया है। मैं अनुवाद के लिए अंग्रेजी में मूल कविताएं सामान्यतः ऑनलाइन उपलब्ध काव्य संकलन- ‘PoemHunter.com’ से लेता हूँ। लीजिए पहले प्रस्तुत है मेरे द्वारा किया गया उनकी कविता ‘Passing Breeze’ का भावानुवाद-

गुरुदेव रवींद्रनाथ ठाकुर की कविता

 

बहती हवा

 

 

हाँ, मुझे मालूम है, यह और कुछ नहीं तुम्हारा प्रेम ही है,
ओ मेरे हृदय के प्रियतम —यह सुनहरी रोशनी, जो पत्तियों पर नृत्य करती है,
वे आलसी बादल, जो आकाश के आर-पार तैरते हैं,
यह बहती हवा जो मेरे मस्तक पर अपनी शीतलता छोड़ जाती है।

 

सुबह की रोशनी ने मेरी आंखों को चकाचौंध कर दिया है—                                                                                                                                यह तुम्हारा संदेश है,  मेरे हृदय के लिए।
तुम्हारा चेहरा आकाश में दिख रहा है, तुम्हारी आंखें, मेरी आंखों मे झांकती हैं,
और मेरा हृदय ने तुम्हारे चरणों को छू लिया है।

 

-रवींद्रनाथ ठाकुर

 

और अब वह अंग्रेजी कविता, जिसके आधार मैं भावानुवाद प्रस्तुत कर रहा हूँ-

 

Passing Breeze

 

Yes, I know, this is nothing but thy love,
O beloved of my heart—this golden light that dances upon the leaves,
these idle clouds sailing across the sky,
this passing breeze leaving its coolness upon my forehead.
The morning light has flooded my eyes—this is thy message to my heart.
Thy face is bent from above, thy eyes look down on my eyes,
and my heart has touched thy feet.

.
-Rabindranath Tagore

 

आज के लिए इतना ही,
नमस्कार।

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