एक बार फिर से मैं, होली के पावन अवसर पर, सभी को हार्दिक शुभकामनाएं देता हूँ, स्व. अल्हड़ बीकानेरी जी की लिखी इस आधुनिक रसिया के साथ-
कान्हा बरसाने में आ जइयो,
बुला गई राधा प्यारी।
असली माखन कहाँ मिलैगो, शॉर्टेज है भारी,
चर्बी वारौ बटर मिलैगो, फ्रिज में हे बनवारी,
आधी चम्मच मुख लिपटाय जइयो,
बुला गई राधा प्यारी।
नंदन वन के पेड़ कट गए, बने पार्क सरकारी,
ट्विस्ट करत गोपियां मिलैंगी, जहाँ तुम्हें बनवारी,
संडे के दिन रास रचा जइयो,
बुला गई राधा प्यारी।
आप सभी के लिए होली शुभ, समृद्धिवर्धक और आनंददायक हो।
नमस्कार।
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