आज अकबर इलाहाबादी साहब की एक छोटी सी रचना शेयर कर रहा हूँ| अकबर इलाहाबाद साहब ने हल्की-फुलकी और गंभीर, दोनों प्रकार की रचनाएँ लिखी हैं, नेताओं के बारे में भी और मशहूर गजल, ‘हंगामा है क्यों बरपा’ भी अकबर इलाहाबादी साहब ने ही लिखी थी| लीजिए आज इस कविता का आनंद लीजिए-
कोई हँस रहा है कोई रो रहा है,
कोई पा रहा है कोई खो रहा है|
कोई ताक में है किसी को है गफ़लत,
कोई जागता है कोई सो रहा है|
कहीँ नाउम्मीदी ने बिजली गिराई,
कोई बीज उम्मीद के बो रहा है|
इसी सोच में मैं तो रहता हूँ ‘अकबर’,
ये क्या हो रहा है ये क्यों हो रहा है|
आज के लिए इतना ही|
नमस्कार|
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