आज एक छोटी सी कविता शेयर कर रहा हूँ, अज्ञेय जी की यह कविता छोटी सी है परंतु बड़ी बात कहती है| अज्ञेय जी हिन्दी साहित्य का ऐसा युगांतरकारी व्यक्तित्व थे, वे भारत में प्रयोगवाद और नई कविता के प्रणेता रहे| हाँ वे विशेष रूप से कम्युनिस्टों के निशाने पर रहते थे| कविता, कहानी, उपन्यास, यात्रा-वृतांत, निबंध आदि हर क्षेत्र में अज्ञेय जी ने अपनी अमिट छाप छोड़ी है|
लीजिए प्रस्तुत है अज्ञेय जी की यह कविता-
जो पुल बनाएँगे
वे अनिवार्यतः
पीछे रह जाएँगे।
सेनाएँ हो जाएँगी पार
मारे जाएँगे रावण
जयी होंगे राम;
जो निर्माता रहे
इतिहास में बंदर कहलाएँगे।
आज के लिए इतना ही,
नमस्कार|
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