अत्याचारी महाराष्ट्र सरकार!

महाराष्ट्र में आजकल जो कुछ हो रहा है, वो निश्चित रूप से आपात्काल की याद दिलाता है| सुशांत हत्याकांड के बारे में जब प्रश्न उठाए गए, तब महाराष्ट्र सरकार जिसने पहले तुरंत ही इसे आत्महत्या घोषित कर दिया था, वो सीबीआई जांच का भरपूर विरोध करती रही| उनको सीबीआई जांच से डर क्यों लग रहा था जी!

सुशांत की मृत्यु और पालघर में साधुओं की हत्या के मामले को पुरजोर तरीके से उठाने के लिए ,तीन टांग वाली ये सरकार, अर्णब गोस्वामी और उनके रिपब्लिक चैनल के पीछे पड़ गई| इसमें तो कोई संदेह नहीं है ना कि पालघर में साधुओं की हत्या की गई थी, या वो भी आत्महत्या थी!

अर्णब एक ऐसे पत्रकार हैं जिन्होंने हमेशा गलत कामों का विरोध किया है, घोटालों को उजागर किया है| सुशांत हत्याकांड की आंच महाराष्ट्र की सत्ता में बैठे बड़े लोगों पर भी आ रही थी तो ये मामला उठाने के लिए महाराष्ट्र के सत्ताधीशों ने एक-एक करके अर्णब पर अनेक केस लगाए, अनेक बार पूछताछ के लिए पूरे-पूरे दिन बिठाए रखा, उसके हजार पत्रकारों पर केस कर दिए और अंत में पूरी गुंडागर्दी के साथ एक वरिष्ठ पत्रकार को ऐसे पकड़कर ले गई, जैसे किसी आतंकवादी को पकड़ा जाता है|

महाराष्ट्र पुलिस का कमिश्नर ऐसा है जिससे गुंडे और गैंगस्टर प्रेरणा ले सकते हैं उसके कारनामे पहले भी ऐसे रहे हैं और वो सरेआम झूठ बोलता है और उसको सही साबित करने के लिए लोगों पर झूठी गवाही देने के लिए दवाब डालता है|

एक बात मुंबई उच्च न्यायालय के बारे में भी, कुछ दिन तक मामला खींचने, फैसला सुरक्षित रखने के बाद उन्होंने कहा कि आप सेशंस कोर्ट में जाइए| यही कहना था तो फैसला सुरक्षित क्यों रखा था! न्यायालय ने यह दिखाने की कोशिश की कि किसी नागरिक को अन्याय होने के मामले में पहले निचले कोर्ट में जाना चाहिए| लेकिन निश्चित रूप से यह न्याय नहीं है|

यह किसी नागरिक के साथ गलती से अन्याय हो जाने का मामला नहीं है| यह शासन द्वारा योजनाबद्ध रूप से एक पत्रकार से बदला लेने का मामला है| जिसमें उनका एक मंत्री यहाँ तक कहता है- ‘अर्णब आत्महत्या भी तो कर सकता है!’

चलिए ये अन्यायी भी कब तक गुंडागर्दी कर पाएंगे| अर्णब के समर्थन में जहां हर जगह जनसमूह उमड़ रहा है, वहीं अनेक कारणों से उसके शत्रु भी बहुत से हैं| उनको उसका बात करने का अंदाज़ अच्छा नहीं लगता| उनको कमीशन खाने वाले, सरकार से सुविधाएं प्राप्त करने वाले पत्रकार ‘शिष्ट’ लगते हैं| आप असहमत हो सकते हैं, लेकिन किसी भी हालत में आप अन्याय का समर्थन कैसे कर सकते हैं! वैसे कुछ लोग तो ऐसे होते ही हैं कि यदि उनको न्याय करने की ज़िम्मेदारी दे दी जाए तो वे दुनिया के आधे लोगों को मृत्युदंड दे दें!

सबसे बड़ी अफसोस की बात यह है कि पत्रकार बिरादरी के सुविधाभोगी जयचंदों को शायद यह खबर ही नहीं है कि वरिष्ठ पत्रकार अर्णब गोस्वामी 6 दिन से गैर कानूनी हिरासत/जेल में हैं|

खैर ज्यादा क्या कहें, सभी सरकारों में कुछ कमी हो सकती है, परंतु मैं महाराष्ट्र की निरंकुश और गूंगी-बाहरी सरकार की घोर निंदा करता हूँ और अगर केंद्र, इस सरकार को बर्खास्त भी कर दे तो मुझे कोई अफसोस नहीं होगा|

आज के लिए इतना ही,

नमस्कार|

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2 responses to “अत्याचारी महाराष्ट्र सरकार!”

  1. धन्यवाद
    मैंने इस कहानी की खोज की, धन्यवाद, व्यवसाय का अनुसरण करने के लिए, आप हमें समाचार देंगे।
    आपका दिन शुभ हो

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    1. shri.krishna.sharma avatar
      shri.krishna.sharma

      Thanks a lot, have a great day.

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