इतना मधुर कैसे गाते हो तुम – रवीन्द्रनाथ ठाकुर

आज, मैं फिर से भारत के नोबल पुरस्कार विजेता कवि गुरुदेव रवींद्र नाथ ठाकुर की एक और कविता का अनुवाद प्रस्तुत कर रहा हूँ। यह उनकी अंग्रेजी भाषा में प्रकाशित जिस कविता का भावानुवाद है, उसे अनुवाद के बाद प्रस्तुत किया गया है। आज भी मैंने अनुवाद के लिए अंग्रेजी कविता को ऑनलाइन उपलब्ध कविताओं में से लिया है, पहले प्रस्तुत है मेरे द्वारा किया गया उनकी कविता ‘How You Sing So Well?’ का भावानुवाद-

गुरुदेव रवींद्रनाथ ठाकुर की कविता


तुम इतना मधुर कैसे गाते हो?

अरे प्रबुद्ध मित्र, तुम इतना मधुर कैसे गा लेते हो?

मैं चकित होकर सुनता हूँ,

 पूर्णतः आह्लादित!

तुम्हारे गीत पूरे विश्व को चमत्कृत करते हैं,

 और स्वर्ग लोकों में फैल जाते हैं,

यह पत्थरों को पिघलाते हैं, मार्ग की प्रत्येक वस्तु को चालित करते हैं,

अपने साथ ये स्वार्गिक संगीत ले जाते हैं|  

यद्यपि तुम्हारी धुनों को मेरे स्वर, पकड़ नहीं पाते,

मैं उस महान शैली में गाना चाहता हूँ

परंतु जो मैं कहना चाहता हूँ, वह फंसा रह जाता है,  

 और मेरी आत्मा पराजित होकर चीत्कार करती है!

ये तुमने मेरे भीतर कैसी निश्चिंतता भर दी है?  

तुम्हारे संगीत ने मुझे पूर्णतः मुग्ध कर दिया है!

                                                     रवींद्रनाथ ठाकुर






और अब वह अंग्रेजी कविता, जिसके आधार पर मैं भावानुवाद प्रस्तुत कर रहा हूँ-


How You Sing So well

O wise one, how do you sing so well?
I listen in amazement,
completely enthralled!
Your melodies light up the world
And waft across heavens,
Melting stones, driving everything in the way,
Carrying along with them heavenly music.
Though the tunes keep eluding my voice
I feel like singing in that superb vein
What I would like to say get stuck
And my soul cries out, defeated!
What trap have you ensnared me into?
Your music has me fully in its thrall!


-Rabindranath Tagore

आज के लिए इतना ही,
नमस्कार|
******

Leave a Reply

Fill in your details below or click an icon to log in:

WordPress.com Logo

You are commenting using your WordPress.com account. Log Out /  Change )

Facebook photo

You are commenting using your Facebook account. Log Out /  Change )

Connecting to %s

%d bloggers like this: