
सोने से दिन, चांदी जैसी हर रात गई,
काहे का रोना जो बीती सो बात गई,
मत लाओ नैनों में नीर कौन समझेगा,
एक बूंद पानी में एक वचन डूब गया।
किशन सरोज
A sky full of cotton beads like clouds
सोने से दिन, चांदी जैसी हर रात गई,
काहे का रोना जो बीती सो बात गई,
मत लाओ नैनों में नीर कौन समझेगा,
एक बूंद पानी में एक वचन डूब गया।
किशन सरोज
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