
कोई लश्कर है के बढ़ते हुए ग़म आते हैं |
शाम के साये बहुत तेज़ क़दम आते हैं ||
बशीर बद्र
A sky full of cotton beads like clouds
कोई लश्कर है के बढ़ते हुए ग़म आते हैं |
शाम के साये बहुत तेज़ क़दम आते हैं ||
बशीर बद्र
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