
चांद सूरज कहाँ, अपनी मंज़िल कहाँ,
ऐसे वैसों को मुँह मत लगाया करो|
राहत इन्दौरी
A sky full of cotton beads like clouds
चांद सूरज कहाँ, अपनी मंज़िल कहाँ,
ऐसे वैसों को मुँह मत लगाया करो|
राहत इन्दौरी
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