
क्या यही होती है शाम-ए-इंतिज़ार,
आहटें, घबराहटें, परछाइयाँ|
कैफ़ भोपाली
A sky full of cotton beads like clouds
क्या यही होती है शाम-ए-इंतिज़ार,
आहटें, घबराहटें, परछाइयाँ|
कैफ़ भोपाली
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