वो फ़लक कि जिसपे मिले थे हम!

तो ये किसलिए शबे-हिज्र के उसे हर सितारे में देखना,
वो फ़लक कि जिसपे मिले थे हम, कोई और था उसे भूल जा।

अमजद इस्लाम

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