
वो ठहरता क्या कि गुजरा तक नहीं जिसके लिए,
घर तो घर, हर रास्ता, आरास्ता* मैंने किया|
*सजाया
अहमद फ़राज़
A sky full of cotton beads like clouds
वो ठहरता क्या कि गुजरा तक नहीं जिसके लिए,
घर तो घर, हर रास्ता, आरास्ता* मैंने किया|
*सजाया
अहमद फ़राज़
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