हर ओर कलियुग के चरण!

स्वर्गीय भारत भूषण जी का एक गीत और आज शेयर कर रहा हूँ| भारत भूषण जी एक ऐसे गीतकार थे जिनके बारे में कहा जा सकता है कि वे अपने समय से काफी आगे की बात कहते थे| कवि सम्मेलनों में उनका काव्य पाठ सुनना एक विलक्षण अनुभव होता था|

लीजिए आज प्रस्तुत है स्वर्गीय भारत भूषण जी का यह गीत –

हर ओर कलियुग के चरण
मन स्मरण कर अशरण शरण।


धरती रंभाती गाय सी
अन्तोन्मुखी की हाय सी
संवेदना असहाय सी
आतंकमय वातावरण।

प्रत्येक क्षण विष दंश है
हर दिवस अधिक नृशंस है
व्याकुल परम् मनु वंश है
जीवन हुआ जाता मरण।

सब धर्म गंधक हो गये
सब लक्ष्य तन तक हो गये
सद्भाव बन्धक हो गये
असमाप्त तम का अवतरण।


आज के लिए इतना ही,
नमस्कार|
********

Leave a Reply

Fill in your details below or click an icon to log in:

WordPress.com Logo

You are commenting using your WordPress.com account. Log Out /  Change )

Facebook photo

You are commenting using your Facebook account. Log Out /  Change )

Connecting to %s

%d bloggers like this: