
अब कौन मुंतज़िर है हमारे लिए वहाँ,
शाम आ गई है लौट के घर जाएँ हम तो क्या|
मुनीर नियाज़ी
A sky full of cotton beads like clouds
अब कौन मुंतज़िर है हमारे लिए वहाँ,
शाम आ गई है लौट के घर जाएँ हम तो क्या|
मुनीर नियाज़ी
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