
हर रग-ए-ख़ूँ में फिर चराग़ाँ हो,
सामने फिर वो बे-नक़ाब आए|
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
A sky full of cotton beads like clouds
हर रग-ए-ख़ूँ में फिर चराग़ाँ हो,
सामने फिर वो बे-नक़ाब आए|
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
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