अब और क्या किसी से मरासिम बढ़ाएँ हम,
ये भी बहुत है तुझको अगर भूल जाएँ हम|
अहमद फ़राज़
A sky full of cotton beads like clouds
अब और क्या किसी से मरासिम बढ़ाएँ हम,
ये भी बहुत है तुझको अगर भूल जाएँ हम|
अहमद फ़राज़
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