
कभी कभी मैं ये सोचता हूँ कि मुझको तेरी तलाश क्यूँ है,
कि जब हैं सारे ही तार टूटे तो साज़ में इर्तिआ’श क्यूँ है|
जावेद अख़्तर
A sky full of cotton beads like clouds
कभी कभी मैं ये सोचता हूँ कि मुझको तेरी तलाश क्यूँ है,
कि जब हैं सारे ही तार टूटे तो साज़ में इर्तिआ’श क्यूँ है|
जावेद अख़्तर
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