
दोनों आलम हैं जिसके ज़ेर-ए-नगीं,
दिल उसी ग़म की राजधानी है|
फ़िराक़ गोरखपुरी
A sky full of cotton beads like clouds
दोनों आलम हैं जिसके ज़ेर-ए-नगीं,
दिल उसी ग़म की राजधानी है|
फ़िराक़ गोरखपुरी
Leave a Reply