आज एक बार फिर मैं हिन्दी काव्य मंचों पर ‘गीतों के राजकुंवर’ नाम से विख्यात हुए स्वर्गीय गोपालदास नीरज जी का एक गीत शेयर कर रहा हूँ, नीरज जी ने हिन्दी गीत साहित्य और भारतीय फिल्म संगीत के लिए भी अपनी रचनाओं के माध्यम से अमूल्य योगदान किया था|
लीजिए, आज प्रस्तुत है स्वर्गीय गोपालदास नीरज जी का यह गीत –

हर दर्पन तेरा दर्पन है, हर चितवन तेरी चितवन है,
मैं किसी नयन का नीर बनूँ, तुझको ही अर्घ्य चढ़ाता हूँ !
नभ की बिंदिया चन्दावाली, भू की अंगिया फूलोंवाली,
सावन की ऋतु झूलोंवाली, फागुन की ऋतु भूलोंवाली,
कजरारी पलकें शरमीली, निंदियारी अलकें उरझीली,
गीतोंवाली गोरी ऊषा, सुधियोंवाली संध्या काली,
हर चूनर तेरी चूनर है, हर चादर तेरी चादर है,
मैं कोई घूँघट छुऊँ, तुझे ही बेपरदा कर आता हूँ !
हर दर्पन तेरा दर्पन है !!
यह कलियों की आनाकानी, यह अलियों की छीनाछोरी,
यह बादल की बूँदाबाँदी, यह बिजली की चोराचारी,
यह काजल का जादू-टोना, यह पायल का शादी-गौना,
यह कोयल की कानाफूँसी, यह मैना की सीनाज़ोरी,
हर क्रीड़ा तेरी क्रीड़ा है, हर पीड़ा तेरी पीड़ा है,
मैं कोई खेलूँ खेल, दाँव तेरे ही साथ लगाता हूँ !
हर दर्पन तेरा दर्पन है !!
तपसिन कुटियाँ, बैरिन बगियाँ, निर्धन खंडहर, धनवान महल,
शौकीन सड़क, गमग़ीन गली, टेढ़े-मेढ़े गढ़, गेह सरल,
रोते दर, हँसती दीवारें नीची छत, ऊँची मीनारें,
मरघट की बूढ़ी नीरवता, मेलों की क्वाँरी चहल-पहल,
हर देहरी तेरी देहरी है, हर खिड़की तेरी खिड़की है,
मैं किसी भवन को नमन करूँ, तुझको ही शीश झुकाता हूँ !
हर दर्पन तेरा दर्पन है !!
पानी का स्वर रिमझिम-रिमझिम, माटी का रव रुनझुन-रुनझुन,
बातून जनम की कुनुनमुनुन, खामोश मरण की गुपुनचुपुन,
नटखट बचपन की चलाचली, लाचार बुढ़ापे की थमथम,
दुख का तीखा-तीखा क्रन्दन, सुख का मीठा-मीठा गुंजन,
हर वाणी तेरी वाणी है, हर वीणा तेरी वीणा है,
मैं कोई छेड़ूँ तान, तुझे ही बस आवाज़ लगाता हूँ !
हर दर्पन तेरा दर्पन है !!
काले तन या गोरे तन की, मैले मन या उजले मन की,
चाँदी-सोने या चन्दन की, औगुन-गुन की या निर्गुन की,
पावन हो या कि अपावन हो, भावन हो या कि अभावन हो,
पूरब की हो या पश्चिम की, उत्तर की हो या दक्खिन की,
हर मूरत तेरी मूरत है, हर सूरत तेरी सूरत है,
मैं चाहे जिसकी माँग भरूँ, तेरा ही ब्याह रचाता हूँ !
हर दर्पन तेरा दर्पन है!!
(आभार- एक बात मैं और बताना चाहूँगा कि अपनी ब्लॉग पोस्ट्स में मैं जो कविताएं, ग़ज़लें, शेर आदि शेयर करता हूँ उनको मैं सामान्यतः ऑनलाइन उपलब्ध ‘कविता कोश’ अथवा ‘Rekhta’ से लेता हूँ|)
आज के लिए इतना ही,
नमस्कार|
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