
फिर सबा साया-ए-शाख़-ए-गुल के तले,
कोई क़िस्सा सुनाती रही रात भर|
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
A sky full of cotton beads like clouds
फिर सबा साया-ए-शाख़-ए-गुल के तले,
कोई क़िस्सा सुनाती रही रात भर|
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
Leave a Reply