
ज़ियादा क्या तवक़्क़ो हो ग़ज़ल से,
मियाँ बस आब-ओ-दाना चल रहा है|
राहत इन्दौरी
A sky full of cotton beads like clouds
ज़ियादा क्या तवक़्क़ो हो ग़ज़ल से,
मियाँ बस आब-ओ-दाना चल रहा है|
राहत इन्दौरी
Leave a Reply