
वो बिगड़ना वस्ल की रात का वो न मानना किसी बात का,
वो नहीं नहीं की हर आन अदा तुम्हें याद हो कि न याद हो|
मोमिन खाँ मोमिन
A sky full of cotton beads like clouds
वो बिगड़ना वस्ल की रात का वो न मानना किसी बात का,
वो नहीं नहीं की हर आन अदा तुम्हें याद हो कि न याद हो|
मोमिन खाँ मोमिन
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