
शाम तन्हाई की है आएगी मंज़िल कैसे,
जो मुझे राह दिखा दे वही तारा न रहा|
मजरूह सुल्तानपुरी
A sky full of cotton beads like clouds
शाम तन्हाई की है आएगी मंज़िल कैसे,
जो मुझे राह दिखा दे वही तारा न रहा|
मजरूह सुल्तानपुरी
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