
करूँ न याद मगर किस तरह भुलाऊँ उसे,
ग़ज़ल बहाना करूँ और गुनगुनाऊँ उसे|
अहमद फ़राज़
A sky full of cotton beads like clouds
करूँ न याद मगर किस तरह भुलाऊँ उसे,
ग़ज़ल बहाना करूँ और गुनगुनाऊँ उसे|
अहमद फ़राज़
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