
अब ‘इंशा’-जी को बुलाना क्या अब प्यार के दीप जलाना क्या,
जब धूप और छाया एक से हों जब दिन और रात बराबर हो|
इब्न ए इंशा
A sky full of cotton beads like clouds
अब ‘इंशा’-जी को बुलाना क्या अब प्यार के दीप जलाना क्या,
जब धूप और छाया एक से हों जब दिन और रात बराबर हो|
इब्न ए इंशा
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