
तल्ख़ियाँ कैसे न हों अशआ’र में,
हम पे जो गुज़री हमें है याद सब|
जावेद अख़्तर
A sky full of cotton beads like clouds
तल्ख़ियाँ कैसे न हों अशआ’र में,
हम पे जो गुज़री हमें है याद सब|
जावेद अख़्तर
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