
ख़ुमार-ए-मय में वो चेहरा कुछ और लग रहा था,
दम-ए-सहर जब ख़ुमार उतरा तो मैं ने देखा|
मुनीर नियाज़ी
A sky full of cotton beads like clouds
ख़ुमार-ए-मय में वो चेहरा कुछ और लग रहा था,
दम-ए-सहर जब ख़ुमार उतरा तो मैं ने देखा|
मुनीर नियाज़ी
Leave a Reply