
कब याद में तेरा साथ नहीं कब हात में तेरा हात नहीं,
सद-शुक्र कि अपनी रातों में अब हिज्र की कोई रात नहीं|
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
A sky full of cotton beads like clouds
कब याद में तेरा साथ नहीं कब हात में तेरा हात नहीं,
सद-शुक्र कि अपनी रातों में अब हिज्र की कोई रात नहीं|
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
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