
ये मेहर-ओ-माह अर्ज़-ओ-समा मुझ में खो गए,
इक काएनात बन के उभरने लगा हूँ मैं|
जाँ निसार अख़्तर
A sky full of cotton beads like clouds
ये मेहर-ओ-माह अर्ज़-ओ-समा मुझ में खो गए,
इक काएनात बन के उभरने लगा हूँ मैं|
जाँ निसार अख़्तर
Leave a Reply