
रुख़्सत का वक़्त है यूँही चेहरा खिला रहे,
मैं टूट जाऊँगा जो ज़रा भी उतर गया|
मुनव्वर राना
A sky full of cotton beads like clouds
रुख़्सत का वक़्त है यूँही चेहरा खिला रहे,
मैं टूट जाऊँगा जो ज़रा भी उतर गया|
मुनव्वर राना
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