
ख़ूब रोए छुप के घर की चार-दीवारी में हम,
हाल-ए-दिल कहने के क़ाबिल कोई हम-साया न था|
क़तील शिफ़ाई
A sky full of cotton beads like clouds
ख़ूब रोए छुप के घर की चार-दीवारी में हम,
हाल-ए-दिल कहने के क़ाबिल कोई हम-साया न था|
क़तील शिफ़ाई
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