
जब उसने हार के ख़ंजर ज़मीं पे फेंक दिया,
तमाम ज़ख़्म-ए-जिगर मुस्कुराए हैं क्या क्या|
कैफ़ी आज़मी
A sky full of cotton beads like clouds
जब उसने हार के ख़ंजर ज़मीं पे फेंक दिया,
तमाम ज़ख़्म-ए-जिगर मुस्कुराए हैं क्या क्या|
कैफ़ी आज़मी
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