खड़ा हूँ यूँ किसी ख़ाली क़िले के सेहन-ए-वीराँ में,
कि जैसे मैं ज़मीनों में दफ़ीने* देख लेता हूँ|
*गड़े , दफनाए हुए, खजाने
मुनीर नियाज़ी
A sky full of cotton beads like clouds
खड़ा हूँ यूँ किसी ख़ाली क़िले के सेहन-ए-वीराँ में,
कि जैसे मैं ज़मीनों में दफ़ीने* देख लेता हूँ|
*गड़े , दफनाए हुए, खजाने
मुनीर नियाज़ी
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