सुनते हैं फिर छुप छुप उनके घर में आते जाते हो,
‘इंशा’ साहब नाहक़ जी को वहशत में उलझाते हो|
इब्न-ए-इंशा
A sky full of cotton beads like clouds
सुनते हैं फिर छुप छुप उनके घर में आते जाते हो,
‘इंशा’ साहब नाहक़ जी को वहशत में उलझाते हो|
इब्न-ए-इंशा
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