उम्मीदें सारी दुनिया से ‘वसीम’ और ख़ुद में ऐसे ग़म,
किसी पे कुछ न ज़ाहिर हो तो कोई मेहरबाँ क्यूँ हो|
वसीम बरेलवी
A sky full of cotton beads like clouds
उम्मीदें सारी दुनिया से ‘वसीम’ और ख़ुद में ऐसे ग़म,
किसी पे कुछ न ज़ाहिर हो तो कोई मेहरबाँ क्यूँ हो|
वसीम बरेलवी
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