मैं ज़िंदा हूँ तो इस ज़िंदा-ज़मीरी की बदौलत ही,
जो बोले तेरे लहजे में भला मेरी ज़बाँ क्यूँ हो|
वसीम बरेलवी
A sky full of cotton beads like clouds
मैं ज़िंदा हूँ तो इस ज़िंदा-ज़मीरी की बदौलत ही,
जो बोले तेरे लहजे में भला मेरी ज़बाँ क्यूँ हो|
वसीम बरेलवी
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