आज फिर दिल की बात होनी है, वैसे तो मैं समझता हूँ कि हर दिन इसी विषय पर बात की जा सकती है। एक गीत का मुखड़ा याद आ रहा है, जिस अंदाज़ में इसे रफी साहब ने गाया है, उससे यही लगता है कि यह शम्मी कपूर जी पर फिल्माया गया होगा, शायद फिल्म का नाम भी यही था-
बंदापरवर, थाम लो जिगर, बनके प्यार फिर आया हूँ,
खिदमद में आपकी हुज़ूर, फिर वही दिल लाया हूँ!
तो मैं भी आज, फिर से दिल के बारे में ही बात कर रहा हूँ। ये दिल वैसे तो विशेष रूप से फिल्मी गीतों में एक खिलौना ही बनकर रह गया है- ‘खिलौना जानकर तुम तो मेरा दिल तोड़ जाते हो’, ‘न तूफां से खेलो, न साहिल से खेलो, मेरे पास आओ, मेरे दिल से खेलो’, ‘एक दिल के टुकड़े हजार हुए, कोई इधर गिरा, कोई उधर गिरा’! फिर से मुकेश जी का एक गीत याद आ रहा है-
वो तेरे प्यार का गम, एक बहाना था सनम,
अपनी किस्मत ही कुछ ऐसी थी, कि दिल टूट गया।
वर्ना क्या बात है तुम, कोई सितमगर तो नहीं,
तेरे सीने में भी दिल है, कोई पत्थर तो नहीं,
तूने ढाया है सितम, तो यही समझे हैं हम,
अपनी किस्मत ही कुछ ऐसी थी, कि दिल टूट गया॥
अब हर गीत पूरा नहीं शेयर करूंगा। लेकिन कुल मिलाकर यही लगता है कि दिल जो अपने पास है, वो खिलौना है, शीशा है और दूसरे लोग दिल के नाम पर पत्थर लिए घूम रहे हैं। और फिर ये तो होना ही है-
शीशा हो या दिल हो, आखिर टूट जाता है!
एक और बात, कवि-शायर एक खास तरह की शब्दावली का प्रयोग करते हैं, जो उनकी पहचान बन जाती है। अब जैसे ‘दिल’ तो टूटता ही रहता है, शायद उसकी किस्मत में यही है, लेकिन यह बात सामान्यतः ‘हृदय’ के बारे में सुनने को नहीं मिलती, लेकिन फिल्म ‘पूरब और पश्चिम’ के गीत में ‘इंदीवर’ जी ने सोचा कि हृदय ही क्यों बचा रहे, सो उन्होंने उसको भी तोड़ दिया-
कोई जब तुम्हारा हृदय तोड़ दे,
तड़पता हुआ जब कोई छोड़ दे,
तब तुम मेरे पास आना प्रिये,
मेरा दर खुला है, खुला ही रहेगा,
तुम्हारे लिए।
अब जैसे इंदीवर जी ने टूटने के लिए ‘दिल’ के स्थान पर ‘हृदय’ जैसे पवित्र शब्द का प्रयोग किया, विषय अलग है लेकिन मुझे भारत भूषण जी की याद आ गई। गीतों में सौंदर्य वर्णन तो बहुत लोग करते हैं, लेकिन उनकी शब्दावली देखिए-
सीपिया बरन, मंगलमय तन,
जीवन-दर्शन बांचते नयन।
साड़ी की सिकुड़न-सिकुड़न में
लिख दी कैसी गंगा लहरी।
आखिर में एक फिल्मी गीत की दो पंक्तियां और याद आ रही हैं-
इस दिल में अभी और भी ज़ख्मों की जगह है,
अबरू की कटारी को दो आब और ज्यादा।
मौका लगेगा तो दिल के बारे में आगे भी बात करेंगे। आज के लिए इतना ही।
नमस्कार।
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Wah…
Thanks.
Wah! Kya baath hein. Thank u Sharma ji, for liking my post’A new Dawn’. And for following my blog site. Best of luck for ur shayaris and ur writings.
Thanks a lot. All the best.