अब जब पुरानी कविताएं शेयर करने का सिलसिला चल निकला है तो लीजिए, मेरी एक और पुरानी कविता प्रस्तुत है-
सपनों के झूले में
झूलने का नाम है- बचपन,
तब तक-जब तक कि
इन सपनों की पैमाइश
जमीन के टुकड़ों,
इमारत की लागत
और बैंक खाते की सेहत से न आंकी जाए।
जवान होने का मतलब है
दोस्तों के बीच होना
ठहाकों की तपिश से
माहौल को गरमाना,
और भविष्य के प्रति
अक्सर लापरवाह होना।
बूढ़ा होने का मतलब है-
अकेले होना,
जब तक कोई, दोस्तों की
चहकती-चिलकती धूप में है,
तब तक वह बूढ़ा कैसे हो सकता है।
काश यह हर किसी के हाथ में होता
कि वह-
जब चाहे बच्चा, जब चाहे जवान बना रहता,
और बूढ़ा होना, मन से-
यह तो विकल्पों में
शामिल ही नहीं है।
(श्रीकृष्ण शर्मा)
नमस्कार।
================
बहुत खुब। बच्चा बने रहना अपने हाथ में है, उम्र तो दिमाग में होती है।
धन्यवाद, जी बहुत सही कहा आपने।
very true.
zindagi ko bojh mat samajhna umra bojh lagne lagegi.
Very true.