आज सचिन दा की याद आ रही है। संगीत की दुनिया में सचिन दा, अर्थात सचिन देव बर्मन जी की अलग ही पहचान थी, बाद में उनके बेटे यानि राहुल देव बर्मन जी ने अपार सफलता प्राप्त की, वास्तव में सचिन दा और आरडी (राहुल देव बर्मन) संगीत के क्षेत्र में दो अलग ज़मानों का प्रतिनिधित्व करते हैं।
सबकी अपनी विशेषता है, आज के संगीतकार तो आरडी के ज्यादा बड़े भक्त हैं, क्योंकि सचिन दा से रिलेट करना उनके लिए संभव ही नहीं हैं, वैसे आरडी ने भी कुछ लाजवाब गीत दिए हैं।
आज जो अमर गीत मैं शेयर कर रहा हूँ, उसमे संगीत तो सचिन दा का है ही, इसे उन्होंने अपनी जादुई आवाज और अंदाज में गाया भी है।
ऐसी कातर, हृदयस्पर्शी पुकार के साथ यह गीत प्रारंभ होता है और इसमें प्रेम से जुड़ी कुछ ऐसी अभिव्यक्तियां हैं , जो इसे अद्वितीय बना देती है। मजरूह सुल्तानपुरी जी के लिखे इस गीत को फिल्म – सुजाता के लिए सुनील दत्त और नूतन जी पर फिल्माया गया था।
लीजिए प्रस्तुत हैं इस अमर गीत के बोल-
सुन मेरे बंधु रे
सुन मेरे मितवा
सुन मेरे साथी रे,
होता तू पीपल मैं होती अमर लता तेरी रे
तेरे गले माला बनके
पड़ी मुसकाती रे, सुन मेरे साथी रे
सुन मेरे बंधु रे—
जिया कहे तू सागर मैं होती तेरी नदिया
लहर लहर करती अपने
पिया से मिल जाती रे, सुन मेरे साथी रे
सुन मेरे बंधु रे
सुन मेरे मितवा
सुन मेरे साथी रे।
नमस्कार।
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Nice post
Thanks dear