एक साथी ब्लॉगर की ब्लॉग पोस्ट पढ़ी जो एक बॉस के बारे में थी, जो रिटायर होने के बाद अपने जूनियर के अधीन कुछ समय तक ‘एडवाइज़र’ के रूप में काम करते हैं, लेकिन बाद में वे यह महसूस करते हैं कि वहाँ स्वाभिमान की रक्षा करते हुए काम करते रहना संभव नहीं है और वे दूसरी जगह काम पर चले जाते हैं।
मुझे याद आया कि जब मैं रिटायर हुआ तब मेरे बॉस ने मुझसे कहा था कि मैं एप्लाई कर दूं तो वे कंपनी के लिए काम कर रही एजेंसी में मेरा जॉब लगवा देंगे, आवास भी मिल जाएगा, हालांकि वो पहले से छोटा होगा।
मैं स्वयं इस बारे में गंभीर नहीं था और मेरे एक सहकर्मी ने भी कहा कि मैं कंपनी के लिए काम कर रही किसी एजेंसी में काम न करूं और कम से कम उन स्थानों पर तो एकदम नहीं, जहाँ मैंने एक सीनियर एक्जीक्यूटिव के रूप में काम किया है। खैर मैंने कहीं भी काम नहीं किया और अपने निकम्मेपन को ये ब्लॉग्स लिखकर सेलीब्रेट कर रहा हूँ।
एक घटना याद आ रही है, मेरे एक साथी थे श्री सिंह, अब पूरा नाम बताने का कोई औचित्य नहीं है, उनके घर पर मेरे अन्य साथी ने फोन किया, जिनको वे रिपोर्ट करते थे। फोन श्री सिंह की बेटी ने उठाया तो इन सज्जन ने उस बच्ची को बताया कि वे उनके पापा के ‘बॉस’ बोल रहे हैं!
शायद इस सज्जन को यह कहना सहज लगता होगा, वो भी किसी बच्चे या बच्ची को बताना कि वे उसके पापा के ‘बॉस’ हैं। शायद इस तरह बोलते समय इंसान सोचता है कि वह अपने बड़प्पन की बात कर रहा है, लेकिन वास्तव में वह अपना छोटापन दिखा रहा होता है। मेरे विचार में उसे अपना नाम बताना चाहिए और ये बताना चाहिए कि वे लोग एक साथ काम करते हैं।
खैर, ऐसे ही ‘जिस देश में गंगा बहती है’ फिल्म का एक सुंदर गीत याद आ गया, जो शैलेंद्र जी ने लिखा और जिसमें प्रेम को सबसे बड़ी ताकत बताया गया है।
इस गीत को पढते समय यह ध्यान रखना होगा कि यह दो पक्षों के बीच संवाद है, एक पक्ष का नेतृत्व सीधा-सादा नायक कर रहा है, जिसे अपने प्रेम पर गर्व है और दूसरे पक्ष में डाकू हैं, जिनको अपनी ताकत का घमंड है।
लीजिए इस गीत की याद ताज़ा कर लीजिए, (पूरा गीत नहीं दे रहा हूँ, जितना प्रासंगिक लगा, उतना ही, शेष भाग फिल्म की कहानी में प्रासंगिक है)-
हम भी हैं, तुम भी हो, दोनो हैं आमने-सामने।
है आग हमारे सीने में, हम आग से खेलते आते हैं
टकराते हैं जो इस ताक़त से, वो मिट्टी में मिल जाते हैं।
तुमसे तो पतंगा अच्छा है, जो हँसते हुए जल जाता है
वो प्यार में मिट तो जाता है, पर नाम अमर कर जाता है।
हम भी हैं, तुम भी हो, दोनों हैं आमने-सामने
देख लो क्या असर कर दिया प्यार के नाम ने॥
हम गाते-गरजते सागर हैं, कोई हमको बाँध नहीं पाया
हम मौज में जब भी लहराए, सारा जग डर से थर्राया।
हम छोटी-सी वो बूँद सही, है सीप ने जिसको अपनाया
खारा पानी कोई पी न सका, एक प्यार का मोती काम आया।
हम भी हैं, तुम भी हो, दोनों हैं आमने-सामने॥
किस फूल पे मरती है दुनिया, है कौनसा फल सबसे मीठा?
नैनों से जो नैना टकराए, तो कौन हारा और कौन जीता?
ये दिल का कंवल सबसे सुंदर, मेहनत का फल सबसे मीठा
इस प्यार की बाज़ी में हँसकर जो दिल हारा वो सब जीता।
हम भी हैं, तुम भी हो, दोनों हैं आमने-सामने॥
इतना-सा जिगर, इतना-सा है दिल, क्या बात बड़ी करने आए,
क्या पैदा होगी आग अगर, पत्थर से ना पत्थर टकराए।
नन्हा सा ये दिल आँखों में न हो तो पल में अँधेरा हो जाये,
इतना सा दिल तू देदे अगर, सारा जग तेरा हो जाये।
हम भी है तुम भी हो, दोनों है आमने सामने
देखलो क्या असर कर दिया प्यार के नाम ने।
जाने कैसी ये मौजे हैं अनजानी,दिल में आयी जैसे याद पुरानी,
ले लिया दिल मेरा, आज की रंग भरी शाम ने।
हम भी है तुम भी हो, दोनों है आमने सामने
देखलो क्या असर कर दिया प्यार के नाम ने।।
नमस्कार।
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Bahut accha
Dhanyavaad Ji.