आज मैं फिर से भारत के नोबल पुरस्कार विजेता कवि गुरुदेव रवींद्र नाथ ठाकुर की एक और कविता का अनुवाद प्रस्तुत कर रहा हूँ। यह उनकी अंग्रेजी भाषा में प्रकाशित जिस कविता का भावानुवाद है, उसे अनुवाद के बाद प्रस्तुत किया गया है। मैं अनुवाद के लिए अंग्रेजी में मूल कविताएं सामान्यतः ऑनलाइन उपलब्ध काव्य संकलन- ‘PoemHunter.com’ से लेता हूँ। लीजिए पहले प्रस्तुत है मेरे द्वारा किया गया उनकी कविता ‘The Judge’ का भावानुवाद-
गुरुदेव रवींद्रनाथ ठाकुर की कविता
न्यायाधीश
उसके बारे में आप कहिए जो आपको ठीक लगे, परंतु मैं जानता हूँ मेरे बच्चे की कमियों को जानता हूँ।
मैं उसको इसलिए प्यार नहीं करता कि वह अच्छा है, अपितु इसलिए कि वह मेरा
छोटा बच्चा है।
आप कैसे जान पाएंगे कि कितना प्यारा हो सकता है वह, जबकि आप कोशिश कर रहे हैं तौलने की
उसके गुणों को, उसकी कमियों के मुकाबले?
जब मुझे लगता है कि बहुत जरूरी है, उसको दण्ड देना, तब वह और भी ज्यादा बन जाता है, एक हिस्सा
मेरे अस्तित्व का।
जब मैं बनता हूँ कारण, उसकी आंखों में आंसू लाने का, मेरा हृदय, उसके साथ-साथ रोता है।
केवल मुझे ही है अधिकार, उसको दोष अथवा दंड देने का, क्योंकि केवल उसी को अधिकार है दंड देने का
जो प्रेम करता है।
-रवींद्रनाथ ठाकुर
और अब वह अंग्रेजी कविता, जिसके आधार मैं भावानुवाद प्रस्तुत कर रहा हूँ-
The Judge
Say of him what you please, but I know my child’s failings.
I do not love him because he is good, but because he is my
little child.
How should you know how dear he can be when you try to weigh
his merits against his faults?
When I must punish him, he becomes all the more a part of my
being.
When I cause his tears to come my heart weeps with him.
I alone have a right to blame and punish, for he only may
chastise who loves.
-Rabindranath Tagore
नमस्कार।
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A nice translation of a poem of Rabindranath Tagore.
Thanks Sir.