आज स्व. नीरज जी का एक गीत शेयर कर रहा हूँ। यह एक फिल्मी गीत है, जो उन्होंने फिल्म- प्रेम पुजारी के लिए लिखा था, जिसे एस. डी. बर्मन जी के संगीत निर्देशन में किशोर कुमार जी ने गाया था। इस गीत में नीरज ने प्रेम का एक अनोखा फार्मूला प्रस्तुत किया है।
लीजिए प्रस्तुत है यह गीत-
शोखियों में घोला जाए, फूलों का शबाब,
उसमें फिर मिलायी जाए, थोड़ी सी शराब,
होगा यूं नशा जो तैयार, वो प्यार है।
हँसता हुआ बचपन वो, बहका हुआ मौसम है,
छेड़ो तो इक शोला है, छूलो तो बस शबनम है,
गाँव में, मेले में, राह में, अकेले में,
आता जो याद बार-बार वो, प्यार है।
शोखियों में घोला जाये…
रंग में पिघले सोना, अंग से यूं रस झलके,
जैसे बजे धुन कोई, रात में हल्के हल्के,
धूप में, छाँव में, झूमती हवाओं में,
हर दम करे जो इन्तज़ार वो, प्यार है।
शोखियों में घोला जाये…
याद अगर वो आये, कैसे कटे तनहाई,
सूने शहर में जैसे, बजने लगे शहनाई,
आना हो, जाना हो, कैसा भी ज़माना हो,
उतरे कभी ना जो खुमार वो, प्यार है।
शोखियों में घोला जाये..
आज के लिए इतना ही।
नमस्कार।
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6 replies on “उतरे कभी ना जो खुमार वो, प्यार है!”
Neeraj ji was all time brilliant… I have got the opportunity to listen to him live !!
I invited him in programs organised by me, met him 3-4 times.
https://meanlife522519166.wordpress.com/2020/04/04/staying-positive/
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Very nice. Keep it up.
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