आज एक बार फिर से रफी साहब का एक गीत शेयर कर रहा हूँ| यह गीत उन्होंने देव साहब के लिए गाया था| रफी साहब के गाये गीतों में बहुत विविधता देखने को मिलती है, इतनी कि बहुत सारे गीतों को सुनकर ही हम अंदाज़ लगा सकते हैं कि वह गीत रफी साहब ने किस कलाकार के लिए गाया है|
हाँ तो यह गीत साहिर लुधियानवी साहब ने लिखा है और फिल्म- ‘हम दोनों’ के लिए देव आनंद जी पर फिल्माया गया है, इसके संगीतकार जयदेव जी थे| देव आनंद साहब मस्ती भरी भूमिकाओं के लिए जाने जाते थे|
लीजिए इस मस्ती भरे गीत के बोल पढ़कर इस गीत के प्रभाव को याद करते हैं-
मैं ज़िंदगी का साथ निभाता चला गया,
हर फ़िक्र को धुएँ में उड़ाता चला गया|
बर्बादियों का सोग मनाना फ़िज़ूल था,
बर्बादियों का जश्न मनाता चला गया|
जो मिल गया उसी को मुक़द्दर समझ लिया,
जो खो गया मैं उस को भुलाता चला गया|
ग़म और ख़ुशी में फ़र्क़ न महसूस हो जहाँ,
मैं दिल को उस मक़ाम पे लाता चला गया|
आज के लिए इतना ही|
नमस्कार|
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