लीजिए आज प्रस्तुत है, स्वर्गीय रामावतार त्यागी जी का लिखा एक सुंदर गीत| रामावतार त्यागी जी किसी समय हिन्दी कवि सम्मेलनों में गूंजने वाला एक प्रमुख स्वर हुआ करते थे| यह गीत भी उनकी रचनाशीलता का एक उदाहरण है-
मैं तो तोड़ मोह के बंधन
अपने गाँव चला जाऊँगा,
तुम आकर्षक सम्बन्धों का,
आँचल बुनते रह जाओगे|
मेला काफी दर्शनीय है
पर मुझको कुछ जमा नहीं है,
इन मोहक कागजी खिलौनों में
मेरा मन रमा नहीं है|
मैं तो रंगमंच से अपने
अनुभव गाकर उठ जाऊँगा,
लेकिन, तुम बैठे गीतों का
गुँजन सुनते रह जाओगे|
आँसू नहीं फला करते हैं
रोने वाले क्यों रोता है?
जीवन से पहले पीड़ा का,
शायद अंत नहीं होता है|
मैं तो किसी सर्द मौसम की
बाँहों में मुरझा जाऊँगा,
तुम केवल मेरे फूलों को
गुमसुम चुनते रह जाओगे|
मुझको मोह जोड़ना होगा
केवल जलती चिंगारी से,
मुझसे संधि नहीं हो पाती
जीवन की हर लाचारी से|
मैं तो किसी भँवर के कंधे
चढकर पार उतर जाऊँगा,
तट पर बैठे इसी तरह से
तुम सिर धुनते रह जाओगे|
आज के लिए इतना ही,
नमस्कार|
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The best lines is ansu nahi phala karte hainbahut hi acchi prastuti
Thanks a lot Sakshi Ji.
That’s so beautiful and so apt for our lifestyle today.
Thanks a lot Ji, very true.