राजा को खबर तक नहीं!

आज मैं पंडित श्रीकृष्ण तिवारी जी का एक नवगीत शेयर कर रहा हूँ, जो मेरे हमनाम हैं (मैं शर्मा हूँ, वे तिवारी हैं), वाराणसी के निवासी हैं और उन्होंने कुछ बहुत सुंदर नवगीत लिखे हैं| मैंने अपनी संस्था के लिए किए गए आयोजनों में से एक में श्री तिवारी जी को बुलाया था जिसमें उन्होंने अपने श्रेष्ठ काव्य पाठ के अलावा बहुत सुंदर संचालन भी किया था|


लीजिए प्रस्तुत है श्री तिवारी जी का यह गीत जो अव्यवस्था, अराजकता और शासन की असफलताओं की ओर इशारा करता है –



भीलों ने बाँट लिए वन,
राजा को खबर तक नहीं|

पाप ने लिया नया जनम
दूध की नदी हुई जहर,
गाँव, नगर धूप की तरह
फैल गई यह नई ख़बर,
रानी हो गई बदचलन
राजा को खबर तक नहीं|

कच्चा मन राजकुंवर का
बेलगाम इस कदर हुआ,
आवारे छोरे के संग
रोज खेलने लगा जुआ,
हार गया दांव पर बहन
राजा को खबर तक नहीं|

उलटे मुंह हवा हो गई
मरा हुआ सांप जी गया,
सूख गए ताल -पोखरे
बादल को सूर्य पी गया,
पानी बिन मर गए हिरन
राजा को खबर तक नहीं|

एक रात काल देवता
परजा को स्वप्न दे गए,
राजमहल खंडहर हुआ
छत्र -मुकुट चोर ले गए,
सिंहासन का हुआ हरण
राजा को खबर तक नहीं|



आज के लिए इतना ही,
नमस्कार|



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3 Comments

  1. सर आपकी कविता बहुत अच्छा लगा पढ़कर। हम इसे अपने वेबसाइट पर पब्लिश करना चाहते हैं। क्या आपकी इजाजत है। सर आप अपना यह ब्लॉग को और सुंदर बना सकते हैं। कॉन्टैक्ट कर सकते हैं किसी भी प्रकार की सहायता के लिए – sksumansaurav98@gmail.com

    1. admin says:

      Thanks dear, haan aap use kar sakte hain, kavita jinki hai unka naam jarur dijiyega.
      Mujhe technical knowledge bilkul nahi hai, aap kuch guide karenge to achchha lagega.
      Aap kahaan se hain?

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