शीर्षक पढ़कर आप पता नहीं क्या सोचेंगे! यह भी संभव कि इसको आप आज के किसी राजनैतिक व्यक्तित्व से भी जोड़कर देखने लगें| चाणक्य तो बहुत पहले हुए थे, मौर्यवंश के जमाने में, जिन्होंने सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य को गद्दी पर बैठाया, उसके बाद बिन्दुसार हुए और चाणक्य की पारखी निगाहों ने अशोक को भविष्य में सिंहासन संभालने के लिए चुना और इस दिशा में आगे बढ़ने के लिए आवश्यक वातावरण तैयार किया|

आपको ऐसा लग सकता है कि मेरा इतिहास संबंधी ज्ञान ठीकठाक है, तो मैं बता दूँ कि ऐसा बिल्कुल नहीं है| दरअसल मैं आजकल ‘वूट’ (VOOT) पर सीरियल ‘चक्रवर्ती सम्राट अशोक’ देख रहा हूँ, जिसमें चाणक्य की भूमिका अभिनेता- मनोज जोशी ने निभाई है, यह सीरियल बहुत पहले टेलीकास्ट हो चुका है, लेकिन हम इसको आजकल देख रहे हैं| वास्तव में कुछ कार्यक्रमों में हम इतने ज्यादा इनवॉल्व हो जाते हैं कि क्या कहें|
इस सीरियल में भी लगभग उतने ही खलनायक और खलनायिकाएँ हैं, जितने सामान्यतः आजकल के सीरियल्स में होते हैं, और फिर बड़ी बात यह है कि यहाँ राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय खलनायक और खलनायिकाएँ शामिल हैं, भारतीय तो हैं ही, यूनानी और खुरासानी भी हैं|
यह ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर आधारित सीरियल है, जिसमें मौर्यवंश के शासन काल का कुछ हिस्सा दिखाया गया है, और अभी तक जितना हमने देखा है, उसमें अशोक अभी बालक है, जिसे चाणक्य उसके शासक पिता बिन्दुसार के पास ले आए हैं, अनेक बाधाओं के बाद, अशोक और उसकी माता ‘धर्मा’ को राजवंश में उनका उचित स्थान दिला दिया गया है, और जबकि चाणक्य अशोक को भावी शासक बनने के लिए तैयार करने में लगे थे, चाणक्य जिनका सपना था कि अखंड भारत का गौरव और सम्मान, सम्राट अशोक के माध्यम से और बढ़े, उस स्वप्न दृष्टा चाणक्य को देशी-विदेशी खलनायक/खलनायिकाएं मिलकर मार डालते हैं, यहाँ तक पहुंचे हैं हम!
ये दुष्टात्माएँ भारत गौरव का स्वप्न देखने वाले, युगदृष्टा- चाणक्य की हत्या करते हैं, वे चाणक्य जिनका अर्थशास्त्र और राजनीति संबंधी दर्शन आज भी पढ़ा जाता है, वे भी इन लोगों के छल का शिकार हो जाते हैं!
हत्या के इस षडयंत्र में शामिल होते हैं- यूनानी राजमाता- हेलेना, जो अपने पुत्र जस्टिन को सिंहासन पर नहीं बैठा पाई थी, चाणक्य के कारण ही, और एक बार अपना षडयंत्र असफल हो जाने के बाद, अपने स्थान पर अपने पुत्र जस्टिन की कुर्बानी दे देती है| वह षडयंत्र था पूरे मौर्यवंश को लाक्षागृह में जलाकर मार डालने का| जिसमें ईरानी और खुरासानी दोनों शामिल थे|
खैर मैं कहानी के बारे में बहुत ज्यादा चर्चा नहीं करूंगा, लेकिन ऐसा ही लगता है कि जैसे राजमहल में हर कोई षडयंत्रकारी है| खुरासानी सेनानायक – मीर खुरासन, जिसकी पुत्री राजा बिंदुसार की एक रानी है, लेकिन वह चोरी छिपे प्रेम करती है ईरानी राजमाता के पुत्र- जस्टिन से और वास्तव में उसने जस्टिन के ही बेटे को जन्म दिया है, जो सिर्फ वह जानती है और जस्टिन की मृत्यु के बाद वो ये बात राजमाता को बता देती है और इस प्रकार षडयंत्र में ईरानी और खुरासानी एक साथ हो जाते हैं, (वास्तव में) जस्टिन के पुत्र श्यामक को गद्दी पर बैठाने के लिए राजमाता प्रयासरत है|
उधर बड़ी रानी-चारुमित्रा अपने पुत्र सुशीम को गद्दी पर बैठाने के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार है, और सुशीम को भी अनैतिक साधनों का सहारा लेने में कोई संकोच नहीं होता| चारुमित्रा ‘काले जादू’ का सहारा लेकर अशोक और उसकी माँ को अपने मार्ग से हटाना चाहती है| उधर महा अमात्य- खल्लघट को यह कुंठा है कि चाणक्य के रहते उसको अधिक महत्व नहीं मिल पाता है|
इस प्रकार जितने भी खलनायक हैं, उन सबको लगता है कि चाणक्य के रहते उनके मंसूबे पूरे नहीं हो पाएंगे, और अंततः वे किसी बहाने से चाणक्य को एकांत स्थान पर बुलाते हैं और मिलकर उसकी हत्या कर देते हैं| इस हत्या में शामिल होते हैं- राजमाता-हेलेना, महा अमात्य- खल्लघट, रानी- चारुमित्रा, उनका महत्वाकांक्षी परंतु नाकारा पुत्र- सुशीम और यहाँ तक कि वे बालक- श्यामक को भी इस जघन्य अपराध में शामिल कर लेते हैं| इस प्रकार मुझे लगता है कि यह इस ऐतिहासिक धारावाहिक का एक महत्वपूर्ण पड़ाव था, जबकि षडयंत्रकारियों के मार्ग में चट्टान बनाकर खड़े हुए चाणक्य की मृत्यु हो जाती है|
अब यही देखना है कि चाणक्य ने बालक अशोक पर जो मेहनत की है और जो आशाएँ उससे रखी हैं, वे भविष्य में कहाँ तक पूरी होती हैं| मेरा आशय सीरियल को लेकर है, वैसे तो इतिहास में यह सब बहुत पहले हो चुका है| सीरियल में भी बहुत पहले दिखाया जा चुका है, लेकिन हम तो अब देख रहे हैं न जी!
कुल मिलाकर मुझे यह भी लगा कि आज हम जितनी नैतिकता आदि की बात करते हैं, उस समय राजघरानों में इसका सर्वथा अभाव था| लगता है कि सारे षडयंत्रकारी राजमहल में ही बसे हुए थे|
आज मन हुआ कि चक्रवर्ती सम्राट अशोक सीरियल के इस पड़ाव पर चर्चा कर ली जाए|
आज के लिए इतना ही|
नमस्कार|
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12 replies on “अब कहाँ हैं चाणक्य!”
Agree. See the glimpse of it in politics
Thanks.
आज चाणक्य तो यहा हैं
राजा चंद्रगुप्त हैं कहा
कोन मानेगा चाणक्य नीति
को साथ सत्य का दे यहां।।
हवाए बदली रुख बदला
अब ठंडी हवाएं ना चले यहा
इंसान कम है आज गाड़िया ज्यादा
छोड़े कार्बनडाइऑक्साइड वो यहा।।
सबको पता है म्रत्यु कारण
इंसान कम क्यो जी रहा यहां
को अपनाएगा नीति चाणक्य की
लोग मारे तो मरे वो यहां।।
नज़र नज़र का फर्क है सिर्फ
फर्क नज़रिए का यहां
कल आज भी वैसा ही था
जैसा दिखता हैं यहां।।
बदलना पड़ेगा कोण अपना
द्रष्टि में होता एक को सदा
वही दिखाएगा सत्य आपको
को चाणक्य को चंद्रगुप्त यहां।।
Very nice poem ji.
It’s really awesome thanks for sharing such a knowledgeable scripts/poem
Thanks a lot Rana ji.
Theks
Most welcome ji.
Nice
Thanks a lot ji.
Bahut rochak jankari diya aapne. Bideshi takat hamesha bharat ke liye khatra raha hai
Thanks a lot ji.